Thursday 26 December 2013

हे पार्श्व तुम्हारे द्वारे पर, एक दर्श भिखारी आया है।


हे पार्श्व तुम्हारे द्वारे पर, एक दर्श भिखारी आया है।

प्रभु दर्शन भिक्षा पाने को, दो नयन कटोरे लाया है।।

नहीं दुनिया में कोई मेरा है, आफत ने मुझको घेरा है।
प्रभु एक सहारा तेरा है, जब ने मुझको ठुकराया है।।1।।

धन -दौलत की कुछ चाह नहीं, घर-बार छुटे परवाह नहीं।
मेरी इच्छा है तेरे दर्शन की, दुनिया से चित घबराया है।।2।।

मेरी बीच भंवर में नैया है, बस तू ही एक खिवैया है।
लाखों को ज्ञान दिया तुमने, भव-सिन्धु से पार उतार है।।3।।

आपस में प्रीत व् प्रेम नहीं, तुम बिन अब मुझको चैन नहीं।
अब तो तुम आकर दर्शन दो, त्रिलोकीनाथ कहलाया है।।4।।

Thursday 11 July 2013

तुमसे लागी लगन, लेलो अपनी शरण, पारस प्यारा,

तुमसे लागी लगन, लेलो अपनी शरण, पारस प्यारा,
मेटो- मेटो जी संकट हमारा ..

निशदिन तुमको जपूँ, पर से नेह तजूँ, जीवन सारा,
तेरे चरणों  में बीते  हमारा ..

अश्वसेन के राजदुलारे, वामा देवी के सुत प्राण प्यारे।
सबसे नेह तोड़ा, जग से मुँह को मोड़ा, संयम धारा ..1..

इंद्र और धरणेन्द्र भी आए, देवी पद्मावती मंगल गाए।
आशा पूरो सदा, दुःख नहीं पावे कदा, सेवक थारा ..2..

जग के दुःख की तो परवाह नहीं है, स्वर्ग सुख की भी चाह नहीं है।
मेटो जामन मरण, होवे ऐसा यतन, पारस प्यारा ..3..

लाखों बार तुम्हें शीश नवाऊँ, जग के नाथ तुम्हें कैसे पाऊँ
पंकज व्याकुल भया, दर्शन बिन ये जिया, लागे खारा ..4..

तुमसे लागी लगन, लेलो अपनी शरण, पारस प्यारा,
मेटो- मेटो जी संकट हमारा।

निशदिन तुमको जपूँ, पर से नेह तजूँ, जीवन सारा,
तेरे चरणों  में बीते  हमारा ..

Monday 17 June 2013

जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर, वो कितना सुन्दर होगा


नाम है तेरा तारण हारा, कब तेरा दर्शन होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर, वो कितना सुन्दर होगा – 2

तुमने तारे लाखो प्राणी
यह संतो की वाणी है
तेरी छवि पर मेरे भगवन
ये दुनिया दीवानी है – 2
भाव से तेरी पूजा रचाओं, जीवन में मंगल होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर, वो कितना सुन्दर होगा – 2

सुरवर मुनिवर जिनके चरण में
निशदिन शीश झुकाते है
जो गाते है प्रभु की महिमा
वो सब कुछ पा जाते है – 2
अपने कष्ट मिटाने को तेरे, चरणों का वंदन होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर, वो कितना सुंदर होगा – 2

मन की मुरादें  लेकर स्वामी
तेरे चरण में आये है ,
हम है बालक , तेरे जिनवर
तेरे ही गुण गाते है – 2
भाव से पार उतरने को तेरे, गीतों का सरगम होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर, वो कितना सुंदर होगा – 2
नाम है तेरा तारण हारा ……

Saturday 15 June 2013

धीरे - धीरे मोड़ तू इस मन को

धीरे - धीरे मोड़ तू इस मन को .. इस मन को तू इस मन को ..
मन मोड़ा फिर डर नहीं, कोई दूर प्रभु का घर नहीं ..

मन लोभी मन कपटी, मन है चोर ..
पल पल में कहते आये कछु और ..
कुछ जान ले, पहचान ले .. होना है अस्थिर नहीं ..
कोई दूर प्रभु का घर नहीं ।।१


जप-तप, तीरथ सब होते बेकार ..
जब तक मन में रहते, भरे विकार ..
नादान क्यों, बेभान क्यों, गफलत ऐसे अब कर नहीं ..
कोई दूर प्रभु का घर नहीं ।२


जीत लिया मन, फिर ईश्वर नहीं दूर ..
जान बूझ क्यों "कमल" बना मजबूर ..
अभ्यास से, वैराग्य से, है जग में कुछ दुष्कर नहीं ..
कोई दूर प्रभु का घर नहीं ।३

धुन - धीरे धीरे बोल कोई सुन ना ले ..

Monday 3 June 2013

जय जय आरती शांति तुम्हारी

जय जय आरती शांति तुम्हारी
तोरा चरण कमल की जाऊं बलिहारी
विश्वसेन अचिरा जी के नंदा
शांतिनाथ मुख पूनम चंदा
४० धनुष सुवर्णमय काया
मृग लांछन प्रभु चरण सुहाया
चक्रवर्ती प्रभु पंचम सोहे
सोलहवा जिनवर जग सहू मोहे
मंगल आरती भोर ही कीजे
जन्म जन्म को लाहो लीजे
कर जोड़ी सेवक गुण गावे
सो नर नारी अमर पद पावे

Monday 8 April 2013

नवकार मंत्र है महामंत्र, इस मंत्र की महिमा भारी है।


नवकार मंत्र है महामंत्र, इस मंत्र की महिमा भारी है।
आगम में कही, गुरुवर से सुनी, अनुभव में जिसे उतारी है ॥टेर॥

अरिहंताणं पद पहला है, अरि आरति दूर भगाता है ।
सिद्धाणं सुमिरन करने से, मन इच्छित सिद्धि पाता है ।
आयरियाणं तो अष्ट सिद्धि और नव निधि के भंडारी हैं ॥नव.॥1॥

उवज्झायाणं अज्ञान तिमिर हर, ज्ञान प्रकाश फैलाता है ।
सव्वसाहूणं सब सुखदाता, तन मन को स्वस्थ बनाता है ।
पद पाँच के सुमरिन करने से, मिट जाती सकल बीमारी है ॥नव.॥2॥

श्रीपाल सुदर्शन मेणरया, जिसने भी जपा आनंद पाया ।
जीवन के सूने पतझड़ में, फिर फूल खिले सौरभ छाया ।
मन नंदन वन में रमण करे, यह ऐसा मंगलकारी है॥नव.॥3॥

नित नई बधाई सुने कान, लक्ष्मी वरमाला पहनाती।
‘अशोक मुनि’ जयविजय मिले, शांति प्रसन्नता बढ़ जाती ।
सम्मान मिले, सत्कार मिले, भव-जल से नैया तारी है ॥नव.॥4॥




Saturday 23 March 2013

अपने चरणों की भक्ति भगवान् मुझे दे दो ।


अपने चरणों की भक्ति भगवान् मुझे दे दो

मैं भुला हुआ राही, नहीं कोई सहारा है
मझदार में हैं कश्ती, और दूर किनारा है
मुझे मंजिल मिल जाए, वो धाम मुझे दे दो

इस जग से क्या लेना, मैं जग का सताया हूँ
ठुकरा के दुनिया को तेरी शरण में आया हूँ
प्रभु तेरा ही भजन करूँ, वह ज्ञान मुझे दे दो

तेरे नाम की यह मस्ती मुझे ऐसी चढ़ जाए
पल पल तेरा नाम जपूँ, जो उल्फत बन जाए
खामोश रहूँ पी कर, यह जाम 
मुझे दे दो

Friday 22 March 2013

जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए।

जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए।
जय जिनेन्द्र की ध्वनि से, अपना मौन खोलिए॥

सुर असुर जिनेन्द्र की महिमा को नहीं गा सके।
और गौतम स्वामी महिमा को पार पा सके॥
जय जिनेन्द्र बोलकर जिनेन्द्र शक्ति तौलिए।
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, बोलिए॥

जय जिनेन्द्र ही हमारा एक मात्र मंत्र हो।
जय जिनेन्द्र बोलने को हर मनुष्य स्वतंत्र हो॥
जय जिनेन्द्र बोल-बोल खुद जिनेन्द्र हो लिए।
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए॥

पाप छोड़ धर्म छोड़ ये जिनेन्द्र देशना।
अष्ट कर्म को मरोड़ ये जिनेन्द्र देशना॥
जाग, जाग, जग चेतन बहुकाल सो लिए।
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए॥

है जिनेन्द्र ज्ञान दो, मोक्ष का वरदान दो।
कर रहे प्रार्थना, प्रार्थना पर ध्यान दो॥
जय जिनेन्द्र बोलकर हृदय के द्वार खोलिए।
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए॥

जय जिनेन्द्र की ध्वनि से अपना मौन खोलिए॥