Monday, 3 June 2013

जय जय आरती शांति तुम्हारी

जय जय आरती शांति तुम्हारी
तोरा चरण कमल की जाऊं बलिहारी
विश्वसेन अचिरा जी के नंदा
शांतिनाथ मुख पूनम चंदा
४० धनुष सुवर्णमय काया
मृग लांछन प्रभु चरण सुहाया
चक्रवर्ती प्रभु पंचम सोहे
सोलहवा जिनवर जग सहू मोहे
मंगल आरती भोर ही कीजे
जन्म जन्म को लाहो लीजे
कर जोड़ी सेवक गुण गावे
सो नर नारी अमर पद पावे

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