Saturday 23 March 2013

अपने चरणों की भक्ति भगवान् मुझे दे दो ।


अपने चरणों की भक्ति भगवान् मुझे दे दो

मैं भुला हुआ राही, नहीं कोई सहारा है
मझदार में हैं कश्ती, और दूर किनारा है
मुझे मंजिल मिल जाए, वो धाम मुझे दे दो

इस जग से क्या लेना, मैं जग का सताया हूँ
ठुकरा के दुनिया को तेरी शरण में आया हूँ
प्रभु तेरा ही भजन करूँ, वह ज्ञान मुझे दे दो

तेरे नाम की यह मस्ती मुझे ऐसी चढ़ जाए
पल पल तेरा नाम जपूँ, जो उल्फत बन जाए
खामोश रहूँ पी कर, यह जाम 
मुझे दे दो

Friday 22 March 2013

जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए।

जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए।
जय जिनेन्द्र की ध्वनि से, अपना मौन खोलिए॥

सुर असुर जिनेन्द्र की महिमा को नहीं गा सके।
और गौतम स्वामी महिमा को पार पा सके॥
जय जिनेन्द्र बोलकर जिनेन्द्र शक्ति तौलिए।
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, बोलिए॥

जय जिनेन्द्र ही हमारा एक मात्र मंत्र हो।
जय जिनेन्द्र बोलने को हर मनुष्य स्वतंत्र हो॥
जय जिनेन्द्र बोल-बोल खुद जिनेन्द्र हो लिए।
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए॥

पाप छोड़ धर्म छोड़ ये जिनेन्द्र देशना।
अष्ट कर्म को मरोड़ ये जिनेन्द्र देशना॥
जाग, जाग, जग चेतन बहुकाल सो लिए।
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए॥

है जिनेन्द्र ज्ञान दो, मोक्ष का वरदान दो।
कर रहे प्रार्थना, प्रार्थना पर ध्यान दो॥
जय जिनेन्द्र बोलकर हृदय के द्वार खोलिए।
जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र, जय जिनेन्द्र बोलिए॥

जय जिनेन्द्र की ध्वनि से अपना मौन खोलिए॥

Tuesday 19 March 2013

नवकार मंत्र ही महामंत्र,

नवकार मंत्र ही महामंत्र, निज पद का ज्ञान कराता है।
निज जपो शुद्ध मन बच तन से, मनवांछित फल का दाता है॥1॥ नवकार…


पहला पद श्री अरिहन्ताणं, यह आतम ज्योति जगाता है।
यह समोसरण की रचना की भव्यों को याद दिलाता है॥2॥ नवकार..

दूजा पद श्री सिद्धाणं है, यह आतम शक्ति बढ़ाता है।
इससे मन होता है निर्मल, अनुभव का ज्ञान कराता है॥3॥ नवकार…
तीजा पद श्री आयरियाणं, दीक्षा में भाव जगाता है।
दुःख से छुटकारा शीघ्र मिले, जिनमत का ज्ञान बढ़ाता है॥4॥ नवकार…

चौथा पद श्री उवज्ज्ञायणं, यह जैन धर्म चमकाता है।
कर्मास्त्रव को ढीला करता, यह सम्यक्‌ ज्ञान कराता है॥5॥ नवकार…

पंचमपद श्री सव्वसाहूणं, यह जैन तत्व सिखलाता है।
दिलवाता है ऊँचा पद, संकट से शीघ्र बचाता है॥6॥ नवकार…

तुम जपो भविक जन महामंत्र, अनुपम वैराग्य बढ़ाता है।
नित श्रद्धामन से जपने से, मन को अतिशांत बनाता है॥7॥ नवकार…

संपूर्ण रोग को शीघ्र हरे, जो मंत्र रुचि से ध्याता है।
जो भव्य सीख नित ग्रहण करे, वो जामन मरण मिटाता है॥8॥ नवकार…

नमस्कार उन संत जनों को


लय- है प्रीत जहा की रीत सदा...............

नमस्कार उन संत जनों को , जो जीना सिखलाते है !
अपने अमृत उपदेशो से सच्ची राह दिखलाते है !!

आखो से जिनके बरस रहा , करुणा का प्रतिपल झरना है ,
जीवन ज्योती जलाकर जो , जग का दुःख चाहते हरना है ,
जब भी देखो उनके चेहरे मानो रहते -२ नित मुस्काते है !!

जो भी आता उनके चरणों मे वह अपनापन पाता है ,
वसुधा ही कुटुम्ब उनका सबसे मैत्री का नाता है ,
बस इसी लिए तो उनको श्रधा से -२ शीश जुकाते है !!

सुख की प्यासी जनता को वे समता का पाठ पढ़ाते है ,
जो विषम बुद्धी से आते है , उनको भी मित्र बनाते है ,
बन क्षमाशील सुख-दुःख सारे वह तो हँस हँस-२ के सह जाते है !!

बनकर प्रभुपथ के राही वे , अपनी मंजील को पाते है ,
युग के हालाहल को पीकर , वे विजय सुधा बरसाते है ,
है मनुज जाती के संरक्षक जीवन की-२ ज्योती जलाते है !!

मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणों मे |



मिलता है सच्चा सुख केवल भगवान तुम्हारे चरणों मे |
यह विनती है पल पल छिन छिन, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे ||

चाहे वैरी सब संसार बने, चाहे जीवन मुझ पर भर बने |
चाहे मौत गले का हार बने, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे ||

चाहे अग्नि मे मुझे जलना हो, चाहे कांटो पे मुझे चलना हो |
चाहे छोड़ के देश निकलना हो, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे ||

चाहे संकट ने मुझे घेरा हो, चाहे चारों और अंधेरा हो |
पर मन नहीं डगमग मेरा हो, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे ||

जिव्हा पर तेरा नाम रहे, तेरा ध्यान सुबह और श्याम रहे |
तेरी याद मे आठों याम रहे, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों मे ||.................