Tuesday 19 March 2013

नमस्कार उन संत जनों को


लय- है प्रीत जहा की रीत सदा...............

नमस्कार उन संत जनों को , जो जीना सिखलाते है !
अपने अमृत उपदेशो से सच्ची राह दिखलाते है !!

आखो से जिनके बरस रहा , करुणा का प्रतिपल झरना है ,
जीवन ज्योती जलाकर जो , जग का दुःख चाहते हरना है ,
जब भी देखो उनके चेहरे मानो रहते -२ नित मुस्काते है !!

जो भी आता उनके चरणों मे वह अपनापन पाता है ,
वसुधा ही कुटुम्ब उनका सबसे मैत्री का नाता है ,
बस इसी लिए तो उनको श्रधा से -२ शीश जुकाते है !!

सुख की प्यासी जनता को वे समता का पाठ पढ़ाते है ,
जो विषम बुद्धी से आते है , उनको भी मित्र बनाते है ,
बन क्षमाशील सुख-दुःख सारे वह तो हँस हँस-२ के सह जाते है !!

बनकर प्रभुपथ के राही वे , अपनी मंजील को पाते है ,
युग के हालाहल को पीकर , वे विजय सुधा बरसाते है ,
है मनुज जाती के संरक्षक जीवन की-२ ज्योती जलाते है !!

No comments:

Post a Comment